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आशीर्वाद
प्रति दिन, प्रति पल मेरे आशीर्वाद तुम्हारे साथ हैं ।
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मेरे बालक,
मेरे आशीर्वाद तुम्हारे साथ तुम्हारी चेतना को विस्तृत बनाने और पवित्र करने के लिए हैं ताकि हमेशा तुम्हारे अन्दर शान्ति बनी रहे ।
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चाहे शब्द लिखे गये हों या नहीं, थे हमेशा तुम्हें आशीर्वाद भेजती हूं ।
२३ अप्रैल १९३४ *
तुम्हें जगाने के लिए मेरे आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहते हैं, लेकिन तुम्हें उनका उपयोग करना भी तो चाहना चाहिये ।
२१ अक्तूबर, १९३५
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आशीर्वाद भागवत कृपा का रूप है, चाहे व्यक्ति के लिए हों या समूह के लिए ।
२२ अक्तूबर, १९३५
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मेरा प्रेम और मेरे आशीर्वाद तुम्हारे साथ हैं । यह समझ लो कि आशीर्वाद अच्छे-से- अच्छे आध्यात्मिक परिणाम के लिए हैं, यह जरूरी नहीं है कि वे मानवीय इच्छाओं के अनुसार हों ।
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मेरे आशीर्वाद बहुत भयंकर हैं । वे इसके लिए या उसके लिए, इस व्यक्ति
या उस वस्तु के विरुद्ध नहीं होते । वे... या, अच्छा, मैं रहस्यवादी भाषा में कहूंगी :
वे इसलिए हैं कि प्रभु की 'इच्छा ' पूरी शक्ति और पूरे बल के साथ चरितार्थ हो । इसलिए यह जरूरी नहीं है कि हमेशा सफलता मिले । अगर प्रभु की ऐसी ' इच्छा ' हो तो असफलता भी हो सकतीं है । ओर 'इच्छा ' प्रगति के लिए है, मेरा मतलब आन्तरिक प्रगति से है । अतः जो कुछ भी होगा अच्छे-से- अच्छे के लिए ही होगा ।
२१ जनवरी १९६०
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